रवींद्र जडेजा ने एक बार फिर खुद को साबित करते हुए आलोचकों को करारा जवाब दिया है। कुछ महीने पहले बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (BGT) में भारत की हार के बाद उन्हें टीम से बाहर करने की योजना बन चुकी थी और "गोल्डन हैंडशेक" की चर्चा तेज़ थी। लेकिन वर्तमान कोचिंग स्टाफ ने उन्हें एक और मौका दिया—जिसे जडेजा ने पूरी तरह भुना लिया।
27 जुलाई 2025 को मैनचेस्टर में इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टेस्ट में जडेजा ने संघर्षपूर्ण शतक लगाया, जिससे भारत को हार से बचाया जा सका। यह शतक पिछले दो टेस्ट में उनके लगातार चार अर्धशतकों के बाद आया है, जो उनके शानदार फॉर्म को दर्शाता है।
मैच से पहले एक नेट सेशन के बाद जडेजा को माथे पर उंगली रखते देखा गया—यह संकेत था कि उनकी सफलता का राज़ ‘दिमाग’ है। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने कुछ नया सीखा है, तो उन्होंने मुस्कुराकर कहा, “इंग्लैंड में गेंद छोड़ना आ गया है।”
13 साल के करियर में जडेजा को कई बार कम आँका गया, मज़ाक उड़ाया गया, लेकिन बिना किसी प्रचार या गॉडफादर के, उन्होंने सब्र और मेहनत से सम्मान कमाया है। उनका यह शतक न सिर्फ मैच बचाने वाला था, बल्कि उनके करियर को भी नया मोड़ देने वाला बन गया है।